इंटरनेट क्या है इन हिंदी edusujhav

इंटरनेट क्या हैं(internet kya hai)in hindi | और इसका इतिहास क्या है और इसके उपयोग क्या-क्या है ये सब हम आज के इस आर्टिकल में जानने वाले है 
दोस्तों इंटरनेट एक ऐसी चीज है जिसके बिना सब सब ही असंभव लगता है दोस्तों बस एक बार दुनिया को बिना इंटरनेट के कल्पना करना ये  असंभव लगता है क्योकि देखा जाए तो आज कल हर काम इंटरनेट की सहायता से ही होता है तो आज के इस आर्टिकल में। । हम ये भी जानते हैं और आप के दिमाग में एक सवाल जरूर करेंगे की महान चीज का अविष्कार किसने किया था अहि हमने आज के गहन अध्ययनशील में जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं -Internet kya hai in Hindi


इंटरनेट क्या है (internet kya hai) -

 आपके विद्यालय में आप एक नेटवर्क वातावरण में कार्यरत है। जब आप कम्प्यूटर की प्रयोगशाला में प्रवेश करते है तो आपने देखा होगा कि सभी कम्प्यूटर एक बड़े कम्प्यूटर से जुड़े जिसे आपके अध्यापक चलाते है इसे प्रोजेक्टर कहते हैं। यह समय आपके सूचना प्रौद्योगिकी के विकास को समझने का उचित समय है आज कम्प्यूटर से लगभग सभी परिचित है। लोग नेटवर्क से जुड़कर दूर-दूर से डाटा और जानकारी बाँटते है और लेते है। जब आप विद्यालय की प्रयोगशाला में कम्प्यूटर पर कार्य कर रहे होते । सब आप सूचना सेयर कर रहे होते है।   तो हम सभी को यह पता है कि इंटरनेट का पूरा नाम  इंटरनेशनल  नेटवर्क  (इंटरनेशनल नेटवर्क)  है। यह आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों के नेटवर्क की एक ग्लोवल संरचना है। और यह टीसीपी / आईपी (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल / इंटरनेट प्रोटोकॉल) प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए डेटा को पैक स्विचिंग द्वारा सहभागिता-प्रदान करता है। यह नेटवर्को का नेटवर्क है, जो लाखों सार्वजनिक और प्राथमिक शैक्षणिक, औद्योगिक और सरकारी नेटवर्को को पूरे विश्व में विस्तार करता है। ये आपस में ताँबे के तारों, फ़व्वारा निष्कर्षण टैक्सी, संचार कनेक्शन और अन्य लफ़नी से जुड़े हैं। विश्व के लगभग पूरे नेटवर्क  इंटरनेट से जुड़े हैं। इंटरनेट कंप्यूटर पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय सूचनाओं का तंत्र है। लगभग देखा जाए तो दुनिया का 75% काम इंटरनेट की सहायता से होता है इसे 'सूचना राजपय' ( सूचना  सुपरहाइववे) कहते हैं।)

नेटवर्क (Network) :-

दो या दो से अधिक स्वयं चलित कम्प्यूटर जब भौतिक रुप से जुडे हों तथा कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा एक दूसरे से डाटा भेज रहे हो, नेटवर्क कहलाते हैं।

नेटवर्क तीन प्रकार के होते हैं।

1.लेन (LAN=> लोकल एरिया नेटवर्क)

2.मैन (MAN=> मैट्रोपालिटन एरिया नेटवर्क)

3.वैन (WAN=> वाइड एरिया नेटवर्क)


तो चलिए इस महान इंटरनेट के इतिहास के बारे में जानते हैं-

इन्टरनेट का इतिहास (internet ka itihas kya hai ) -

मित्रो किसी सच ही ने कहा है की  आवश्यकता ही प्राप्त की जननी है। तो यह बात इन्टरनेट की खोज पर बिलकुल सही बैठती है। वैसे देखा जाए तो इन्टरनेट का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। इसकी शुरुवात सन 1960 में शीत युद्ध के दौरान गुप्त रूप से बहुत तेज गति से सूचनाओं के अंतरण प्रदान करने के लिए हुई।

इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर एक नेटवर्क की खोज हुई, जिसे आज हम इन्टरनेट के नाम से जानते हैं। अगर बात की जाए कि इन्टरनेट की खोज किसने की इसमें किसी एक व्यक्ति को पूरा श्रेय नहीं दिया जा सकता है। इन्टरनेट का कनेक्टिविटी करने में कई लोगों का योगदान था।

इन्टरनेट का जनक: (internet ke janak) -

 1970 के दशक के  तक, एक  विंटन सेर्फ नाम के एक कंप्यूटर वैज्ञानिक ने दुनिया के सभी मिनी-नेटवर्कर्स पर एक-दूसरे के साथ संवाद करने के लिए एक तरह से सभी कंप्यूटरों के लिए एक तरीका विकसित करके इस समस्या को हल करना चाहिए। करना चाहिए। शुरू कर दिया था। विंटन सेर्फे ने अपना 'को ट्रांसमिशन कंट्रोलर प्रोटोकॉल' या टीसीपी का  नाम  दिया 


फिर कुछ समय बाद, विंटन ने एक अतिरिक्त प्रोटोकॉल जोड़ा, जिसे आज कल " इंटरनेट प्रोटोकॉल " आईपी के रूप में जाना जाता है।
इसी कारण से आज हम जो इन्टरनेट का प्रयोग करते हैं उसमे टीसीपी / आईपी प्रोटोकॉल का ही इस्तेमाल किया जाता है। अच्छा छोड़िए काम की बात पर आता है तो फिर सन 1974 में विंटन सेर्फ (विंट सेर्फ) और रोबर्ट ई। काहन (रॉबर्ट ई। काह्न) ने एक आर्टिकल प्रकाशित किया था जिसे " इंटरनेट के पिता " के नाम से जाना गया था। इसी रिसर्च पेपर को प्रकाशित करने के कारण विंट सेर्फ को इन्टरनेट का जनक कहते हैं 


इंटरनेट सेवा प्रदाता (internet seva pradan karne vale) -


वैसे अगर देखा जाए तो आप को समझ आ ही गया होगा की हम किस टॉपिक पर बात करने वाले है " इंटरनेट सेवा प्रदाता" अर्थात हम सभी इंटरनेट सेवा देने वाली  कंपनीयो के बारे में बात करेंगे तो चलिए शुरू कर रहे है -

अगर हमें कोई बात पता नहीं है तो हम उसे विभिन्न ब्राउज़र्स में सर्च करते हैं, जैसे -: विंडोज एक्सप्लोसलर, गूगल क्रोम, स्टॉकिला फायरफॉक्स, आदि। और सभी परिवारों को चलने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है और  जो संस्था उपभोक्ताओं को इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराती हैं, उसे इंटरनेट सेवाओं प्रोवाइडर्स [आईएसपी] कहते हैं। भारत में यह सुविधा देने वाली कुछ बड़ी कंपनियाँ हैं जिनमें से कुछ कंपनी निम्नलिखित हैं -



 jio (जिओ) - संयुक्त कार्यान्वयन के अवसर

  वैसे मुझे सब को इस कंपनी के बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है क्योकि इस कंपनी के बारे में सभी भारतीयों को पता ही होगा क्योकि शायद यही कोई होगा जिसने जिओ के 1 साल के फ्री नेट का मजा न उठाया हो जी हां हम वही सामान्य के बारे में बात कर रहा है  

रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड  जिनके लोकप्रिय  जियो  भी कहा जाता है। यह एक मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर भारत में है। इसे रिलायंस इंडस्ट्रीज ने खुद किया है, जिसका मुख्यालय मुंबई में स्तिथ है। भारत में सबसे पहले बार  Jio ने केवल  4G LTE सेवाएं और VoLTE (Voice over LTE) सेवा लोगों को प्रदान की   ये सबसे प्रसिद्ध इंटरनेट प्रदाता का इसका उपयोग लगभग केवल कर रहा है और इस इंटरनेट प्रोाइडर कंपनी के मालिक मुकेश अंबरी  है और जिओ भारत को छोड़कर कई देशो में काम करता है जैसे हम, चीन, सिंगापुर आदि। 


बीएमएनएल ( बी.एस.एन.एल.) (भारत संचार निगम लिमिटेड) अक्टूबर 2002 में बीएमएनएल मोबाइल सेवा के लॉन्च होने के मात्र डेढ़ दो सालों में भारत की नंबर वन मोबाइल सेवा बनने वाली बीएमएनएल पर क़रीब 20 हज़ार करोड़ रुपये / क़र्ज़ है। । कुछ लोग कह रहे हैं कि SHNL को बंद कर दिया जाएगा। कुछ इसके निजीकरण पर ज़ोर दे रहे हैं   

वोडाफोन (vodafone)- ये नई संयुक्त इकाई में  वोडाफोन  का 45.1 प्रतिशत मूल होगा। उसके पहले  वोडाफोन  को 4.9 प्रतिशत हिस्सा आइडिया की पेरेंट कंपनी, आदित्य बिड़ला समूह को ट्रांसफर करना होगा। वोडाफोन  को इसके लिए 57.9 करोड़ डॉलर का भुगतान मिलेगा। आदित्य बिड़ला समूह के पास नई कंपनी के 26 प्रति का स्वामित्व होगा।


एयरटैल(airtel ) - यदि  आप इस कंपनी के मालिक की कहानी सुनेगे तो आप दंग जायेंगे एक बार एक लड़के पढाई में मन नहीं लगता था कि उसने अपने पिता से  20 हजार कर्ज लेकर शुरू किया था और अब वह इस मुकान: जी जी है।) कहानी  एयरटेल के  बॉस सुनील मित्तल की ही है और ये कहानी सोशल मीडिया में बहुत वायरल हुई थी और ये सच पर आधारित सुनील ने कहा -

  एयरटेल के सुनील मित्तल की कहानी: पढ़ने में मन नहीं लगता था, पिता से 20 हजार कर्ज लेकर शुरू किया था बिजनेस मित्तल ने 1976 में 18 साल की उम्र में अपने पिता से 20 हजार रुपये उधार लेकर साइकिल का पुर्जा बनाने का पहला कारोबार किया। चालू में स्थापित उनका यह व्यवसाय उनकी महत्वाकांक्षाओं से काफी कम था।


आइडिया(idea)  आइडिया का वोडाफोन में विलय की प्रक्रिया पूरी होने के करीब है। इसी कड़ी में आइडिया सेल्युलर के बोर्ड ने 26 जून को एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (ईजीएम) बुलाई है जिसमें 'आइडिया सेल्युलर लिमिटेड' का नाम बदलकर 'वोडाफोन आइडिया लिमिटेड' किए जाने को मंजूरी मिल जाएगी। इसके अलावा ईजीएम में बोर्ड की उस योजना पर भी विचार किया जाएगा जिसमें नॉनकन्वर्टिबल सिक्यॉरिटीज के जरिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका इस्तेमाल कर्ज के भुगतान और बैलेंस शीट को मजबूत करने में किया जाएगा


इंटरनेट कैसे काम करता है (यह कैसे काम करता है) -इंटरनेट से डेटा भेजने के माध्यम -

ट्रांसमीशन मीडिया :-
सेन्डर और रिसीवर (प्रेसित और ग्रहित माध्यम) तरीका बहुत अधिक समय के लिए। जैसे यदि कोई व्यक्ति दूर बैठे व्यक्ति से हवा में कोई बात करता है तो हो सकता है। वह न सुन सके जब कि टेलिफोन द्वारा शीघ्रता से सुन सकता है तो ये ही ट्रांसमीशन मीडिया है। टेलीफोन लाइन कई प्रकार की होती है। भौतिक चैनल जो कि डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने का माध्यम 
 
  । मुख्य रूप से डेटा भेजने के 3 माध्यम है।
                     
    टिवस्टेड पेयर केवल-
लोकल टेलीफोन को जोड़ने के लिए टिवस्टेड पेपर केवल का प्रयोग होता है। (1 या 2 Km) औरइतने दूर तक डिडिटल डाटा भी भेज सकते हैं। ये कापर के दो तार होते हैं जो कि समान्तर होते हैं पर यह छोटी दूरी के लिए ही ठीक है। परन्तु 100 मी से अधिक होने पर ये त्रुटि उत्पन्न करते हैं।
 
कोएक्सियल केवल:-

यह एक के ऊपर एक जो कि कुचालक पदार्थ द्वारा अलग होते हैं। बीच में एक तार फिर कुचालक पदार्थ तथा उसके ऊपर जाल के रुप में तथा फिर कुचालक पदार्थ का कवर होता है। इस की डाटा ट्रांसफर की दर अधिक होती है। ये कुचालक पदार्थ PVC द्वारा बने होते हैं। ये दूर तक डाटा ट्रान्सफर कर सकते हैं। ये टेलिफोन, क्लोजसर्किट टी वी आदि में प्रयोग होते हैं। इससे एक साथ क्रम से 15000 टेलीफोन काल भेजी जा सकती है।

फाइबर आप्टिकल केवल -

यह कम लागत का प्रकाशित माध्यम का तार है। यू.एस.ए. के बैल (घंटी) सिस्टम के द्वारा यह जाना गया कि एक आधे इंच से भी कम व्यास के तार से 50000 शब्द मैसेस ट्रासमीट किये और भविष्य में एडवांस प्रकाशीय टेक्नोलाजी प्रयुक्त होगी जो किलेजर द्वारा संचालित होगी।
आप्टिकल फाइबर अधिकतर एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक one to one कम्यूनिकेशन में ही प्रयोग होता है।
अत: अधिक से अधिक कम्यूनिकेशन में कुछ जटिलता होगी। इसमें सुरक्षा की आवश्यकता अधिक होगी यह इलेक्ट्रोमैगनेट द्वारा अप्रभावी है। अतः इनमें शोर और अन्य व्यवधान नहीं आते है।

तो दोस्तो आप मन में ये सवाल जरूर आएंगे कि ये इंटरनेट आखिर चलता कैसे है  इन्टरनेट की गति को तीव्र करने के लिए बहुत से शोध किये गये जिनमें से एक खोज गयी ये सबसे आधुनिक तकनीक है ऑप्टिकल फाइबर केबल। इसी तकनीक के कारण हम आज तेजी से इंटरनेट उपयोग कर पा रहे हैं।आगर ये केबल ना होता है तो आज हम इतना तेज इंटरनेट का मज़ा ना उठा पाते हैं यह सबसे आधुनिक तकनीक है


ऑप्टिकल फाइबर केबल तकनीक एक ऐसी तकनीक है जिसमें लाखों किलोमीटर की लम्बाई वाले ऑप्टिकल फाइबर केबल को समुन्द्र में बिछाया जाता है। और इस वायर में बहुत सारे छोटे छोटे गिलास ट्यूब्स होते है है मतलब इन वायर के अंदर पूरा गिलास का वायर होता है और आपका सवाल ये था कि इंटरनेट की सहायता से डेटा ट्रांसफर कैसे होता है तो इसका उत्तर ये है कि इन गिलास ट्यूब में डेटा ट्रांसफर करने के लिए  हैम प्रकास कस उपईग करते है और ये डेटा 0,1 के रूप में सेव होता है  और ये 0,1 के रूप पूरी दुनिया मे घूमता रहता है और आप का ये भी सवाल होगा कु इतना सारा डेटा कहा सेव होता है तो ये सारी जानकारी दुनिया के सबसे बड़े सर्वर में सेव होती है  जिसमे 1000 टीबी की बहुत हार्डडिस्क लगी होती  है आजकल अधिकतम इन्टरनेट उपयोग समान माध्यम से होता है, लगभग 90 प्रतिशत इंटरनेट इसी तरह से होता है। समुंद्री जहाज के लंगर के द्वारा टैक्सी को कोई नुकसान ना पहुंचे इस कारण से 24 घंटे केबल की निगरानी के लिए कई टीम बनायीं गयी। और अगर कोई इस तार को नुकसान पहुंचता है तो तुरंत टीम को पता चल जाता है और टीम वह पहुंच जाती है। तार को ठीक कर देती है ताकि हम लोगो को इंटरनेट चलाने में कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े। दुनिया का सबसे बड़ा सर्वर   eServer जहाँ पर दुनिया की सारी जानकारी बचती है। यह जानकारी को इंटरनेट सेवा प्रदाता हमें सर्वर के जरूर बताएं और पीसी / मोबाइल के ब्राउज़र से हम इस जानकारी को खोज करते हैं।

जैसे हमें कोई जानकारी नहीं होती है तो हम उसे  इंटरनेट में खोज करते हैं   इंटरनेट पर सूचना / डेटा पूरी दुनिया में घूमता रहता है। ये डेटा टेक्स्ट, इमेज, एमपी, वीडियो आदि रूपों में होता है।



इंटरनेट के उपयोग (इंटरनेट का उपयोग):



 सूचनाओं की खोज 

 इंटरनेट पर बहुत सारी वेबसाइटों में होते हैं जिनमें लिटरेचर, सिनेमा, शेयर्स, संगीत का भंडार और बहुत बहुत जानकारियों का हर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होता है। लेकिन अगर हम इनको ढूंढ पाने में सक्षम नहीं होते हैं तो इंटरनेट पर सर्च टोल भी है, जिनपर उन्हें टाइप कर इनका रासायनिक पता कर सकते हैं तया ग्रौज कर सकते हैं। कुछ सर्च इंजन निम्नलिखित हैं-




Google [http://www.google.com], लाइन्कोव आई एम एस [http://www.lycos.com], याहू [http://www.yahoo.com], खोज / http; // www। khoj.com] इत्यादि। साइबर 411 (साइबर 411) एक विशाल खोज इंजन है, जो 16 खोज इंजन के परिणाम को मिलाकर देता है और यह बहुत तीव्र गति से कार्य करता है। खोज एक भारतीय सर्च इंजन है।




 इलेक्ट्रॉनिक मेल (इलेक्ट्रॉनिक मेल)

यह व्यापक रूप से प्रयोग होने वाली इंटरनेट सेवा है, जिसे संक्षिप्त में ई-मेल (ई-मेल) कहते हैं। इसके द्वारा संदेश को शीघ्र भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। 



इसके लिए प्रत्येक उपयोगकर्ता का ई-मेल एड्रेस तथा पासवर्ड होता है जो ई-मेल एकाउन्ट बनाकर प्राप्त किया जाता है। पासवर्ड से उपयोगकर्ता अपने ई-मेल की गोपनीयता बरकरार रख सकता है। ई-मेल का Subject संदेश के विषय-वस्तु के बारे में बताता है। प्रेषित मेल प्राप्तकर्ता के मेल बॉक्स में चला जाता है, जिसे खोलकर प्राप्तकर्ता संदेश प्राप्त करता है। 

ई-मेल के साथ ग्राफ, ध्वनि, फाइल या फोटो जोड़कर भेजा जा सकता है जिसे Attachments कहते हैं। यह डाक टिकट की आवश्यकता को घटाता है तथा संदेश को भेजने तथा प्राप्त करने में लगे समय की बचत करता है।       ई-मेल का जन्मदाता आर. टोमलिंसन है। पहला फ्री ई-मेल सेवा के जन्मदाता सबीर भाटिया हैं जिन्होंने जून 1996 में हॉटमेल सेवा शुरू की।

भारत में प्रमुख ई-मेल प्रदान करने वाले साइट www.rediffmail.com, www.yahoomail.com, www.hotmail.com, www.india.com, www.gmail.com हैं।


3. दूसरे व्यक्ति से वार्तालाप करना (Chat with other people)

यदि हम अनजान व्यक्ति से बात करना तथा नये दोस्त बनाना पसंद करते हैं तो इंटरनेट सबसे अच्छा माध्यम है। चैट प्रोग्राम के द्वारा बिना किसी व्यक्ति की भौगोलिक स्थिति जाने हुए हम बातचीत कर सकते हैं। चैट के अन्तर्गत यूजर किसी विषय पर लिखित रूप से चर्चा करते हैं। इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों का उपयोग कर दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा वार्तालाप करना चैटिंग (Chatting) कहलाता है।




4. टेलनेट (Telnet)  - टेलनेट प्रोग्राम का प्रयोग कर हम दूसरे कम्प्यूटर को जोड़कर ऐसे कार्य कर सकते हैं, जैसे हम उसके की-बोर्ड के पास बैठे हैं। हम अपने कम्प्यूटर द्वारा दूर स्थित कम्प्यूटर पर कार्य कर सकते हैं तथा उसके संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। इसे रिमोट लॉगइन (Remote login) भी कहा जाता है।


5. यूजनेट (Usenet)- यह लोगों का समूह है जो सभी जगह मान्यता प्राप्त एक या अधिक लेबल News group के द्वारा विषय (Article) की अदला-बदली (Exchange) करते हैं। यूजनेट अपने उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध ग्रुप के सेट के बारे में निर्णय लेता है। यह सेट हर साइट के लिए भिन्न-भिन्न होता है।




6. वर्ल्ड वाइड बेब (World Wide Web) वर्ल्ड वाइड वेव (www) और इंटरनेट दोनों दो चीजे है परन्तु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्ल्ड वाइड वेव जानकारी युक्त पेजों का विशाल संग्रह है जो.एक दूसरे से जुड़ा है। जिसे वेब पेज कहते हैं। वेब पेज HTML भाषा में लिखा होता है जो कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक भाषा है। HTML हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज का संक्षिप्त रूप है।


 हर पेज टेक्स्ट, चित्र, ध्वनि क्लिप, विडियो क्लिप, एनिमेशन और विभिन्न चीजों का संयोग है। वेब पेज को जो रोचक बनाता है वह है हाइपरलिंक, जिसे अक्सर लिक कहा जाता है। हाइपरलिंक पर माउस प्वाइंटर से प्वाइंट करने पर प्वाइंटर का आकार हाथ जैसा हो जाता है। हर लिंक किसी दूसरे पेज को इंगित करता है और जब हम इस पर क्लिक करते हैं, हमारा ब्राउजर लिंक से जुड़े पेज को उपलब्ध कराता है। अतः वल्ड वाइड वेब एक विशाल सूचनाओं का डेटाबेस है तथा हर सूचना एक दूसरी सूचना से जुड़ा है। वर्ल्ड वाइड वेब का विकास हिमबर्नर्स ली ने 1989 में किया था।


7. फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (FTP)—यह इंटरनेट पर जुड़े दो कम्प्यूटर के बीच फाइल स्थानान्तरण करने की सुविधा है। वेव ब्राउजर का उपयोग कर हम फाइल को डाउनलोड तो कर सकते हैं, पर अपलोड नहीं कर सकते हैं। FTP अनुप्रयोग हमें वेब साइट पर फाइल अपलोड करने में सहायता करता है।


8. ई-कॉमर्स (E-Commerce) ई-कॉमर्स बिना कागज के व्यापार जानकारी का इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज के द्वारा आदान-प्रदान है। ई-कॉमर्स के अन्तर्गत वस्तुओं या सेवाओं को खरीद या विक्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे- इंटरनेट के द्वारा होता है। यह इंटरनेट पर व्यापार है।




9. विडियो कान्फरेंसिंग (Video Conferencing) यह इंटरनेट के द्वारा विभिन्न स्थलों पर ऑडियो और विडियो डेटा संचारित करने के लिए तथा दो या दो से अधिक प्रतिभागियों के बीच एक सम्मेलन का आयोजन करने में सक्षम बनाता है। अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्ति इंटरनेट के द्वारा ऐसे वार्तालाप कर सकते हैं जैसे वे आमने-सामने हों। इसमें कम्प्यूटर के साथ-साथ विडियो कैमरा, माइक्रोफोन तया स्पीकर की आवश्यकता होती है। यह एक विडियो टेलीफोन की तरह काम करता है।






10. ऑनलाइन खरीदारी (Online Shopping) ऑनलाइन खरीदारी की प्रक्रिया में उपभोक्ता उत्पादों या सेवाओं की खरीद इंटरनेट के माध्यम से करते हैं, तथा इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ता की मांगों को पूरा किया जाता हैअब तो इंटरनेट का उपयोग बहुत ही बड़े स्तर पर व्यापार व्यवसाय में भी होने लगा हैं. बड़ी – बड़ी कम्पनियाँ अपने विभिन्न देशों में फैले बिज़नेस के फैसले लेने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग करती हैं. इसकी उपयोगिता और सुविधा को देखते हुए इसे क़ानूनी मान्यता भी प्राप्त हैं. यदि हम कुछ बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की बात करें, तो आज इनमें सबसे बड़ी कंपनी हैं – फ्लिपकार्ट, जिसे इसी क्षेत्र की एक दूसरी कंपनी अमेज़न द्वारा कड़ी टक्कर दी जा रही हैं.





11. मनोरंजन (मनोरंजन) इंटरनेट का उपयोग मनोरंजन के लिए भी किया जाता है जैसे- ऑनलाइन गेम, सिनेमा, कहानियाँ, खेल, संगीत आदि का इंटरनेट पर असीम भंडार है