programming languages


 कंप्यूटर भाषा क्या है     

 भाषाएं संपर्क स्थापित करने तथा अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने का माध्यम होती हैं। कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर कार्य करती है। कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए जिन विशेष भाषाओं का उपयोग किया जाता है, वे कम्प्यूटर भाषाएं कहलाती हैं। 

कम्प्यूटर भाषाओं को प्रोग्रामिंग भाषाएं (Programming Languages) भी कहा जाता है तथा किसी प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करके लिखे गये निर्देशों का समूह, प्रोग्राम (Program) कहलाता है।  प्रत्येक प्रोग्रामिंग भाषा कुछ शब्दों से मिलकर बनती है जिनमें से प्रत्येक शब्द का कम्प्यूटर के लिए निश्चित अर्थ होता है जिसके अनुसार यह कोई विशेष कार्य करता है। ये शब्द की-वर्ड (Keyword) कहलाते हैं। हर काम के लिए अलग की-वर्ड होता है। एक अकेला की-वर्ड कमांड (Command) भी कहा जाता है।

हमें जो भी कार्य करवाना है उसके लिए आवश्यक की-वर्ड उसी क्रम में लिखे जाते हैं जिस क्रम में कार्य होना है।की-वर्ड्स याैंड्स के इस समूह को फाइल के रूप में मेमोरी में संग्रहित करें कर दिया जाता है, यह फ़ाइल, प्रोग्राम फ़ाइल (प्रोग्राम फ़ाइल) कहलाती है। बाद में हम जब भी इस कार्यक्रम को चलाते हैं तो कंप्यूटर आपके पास होते हैं से एक-एक आनंद को पढ़कर सोचता है और उसके अनुसार कार्य करता है कार्यक्रम लिखते समय उपयोग की जा रही भाषा के अनुसार कुछ निश्चित नियमों का पालन करना आवश्यक होता है; जैसे कहां कॉमा लगाना है, कहां कोष्ठक का प्रयोग करना आदि है। कंप्यूटर भाषा के ये नियम सिन्टेक्स (syntex) कहलाते हैं।


      भाषाओं की चार पीढ़ि (Four generations of languages)

कंप्यूटर में आज जो प्रोग्रामिंग भाषाएं उपयोग में लाई जा रही हैं उनके विकास की यात्रा बहुत लम्बी है।कंप्यूटर भाषाओं को विकास क्रम के आधार पर हम चार पीढ़ियों में बांट कर सकते हैं-

1. मशीनी भाषा (मशीन भाषा)

2. असेम्बली भाषा (Aseembly Language)

3. उच्चस्तरीय भाषा (Highlevel language)

4. 4 जी ० एल००- (४ साहित्यिक भाषा)

                                   

                             
 मशीनी भाषा (Machine language) 

कंप्यूटर में हम की-बोर्ड से जो भी टाइप करते हैं वह हिक पल्स के रूप में सर्किट के माध्यम से मेमोरी में जाता है, इस पल्स की उपस्थिति या अनुपस्थित को हम 1 और 0 से दशति हैं। कंप्यूटर मशीन केवल इस पल्स की भाषा को ही समझती है इसलिए 1 और 0 के कोड की भाषा, मशीनी भाषा (मशीन भाषा) कहलाती है।

कम्प्यूटर का आन्तरिक पैटर्नथ केवल इस मशीनी भाषा को ही समझता है। जब कंप्यूटर का विकास हुआ तो इसकी पहली पीढ़ी में निर्देश देने के लिए इस मशीनी भाषा का ही उपयोग किया जाता था जो कि एक जटिल कार्य था, क्योंकि इस भाषा में कोड तैयार करना और कोड में गलतियां सुधारना बहुत ही हैं मुश्किल काम था।

            


असेम्बली भाषा (Assembly language)  


मशीनी भाषा में आने वाली लिए कठिनाइयों को दूर करने के लिए सन् 1950 में एक सांकेतिक भाषा विकसित हुआ जिसमें प्रत्येक कार्य के लिए शाब्दिक संकेतों का उपयोग किया गया, ये शाब्दिक संकेत नेमोनिक कोड (Mnemonic कोड) कहलाते हैं, जैसे जोड़ना और कटौती के लिए क्रमशः ADD और SUB कोडों का प्रयोग किया गया। हम जानते हैं कि कंप्यूटर केवल मशीनी भाषा ही समझता है 

अतः असेम्बली भाषा, लिखित कोडों को चलाने से पहले मशीन कोड में अनुवाद करने की तकनीक पर आधारित था। इसके लिए जो विशेष कार्यक्रम का विकास किया गया वह असेम्बलर (असेंबलर) कहलाता है। यह ऐसा कार्यक्रम होता है जो असेम्बली है कोर्ड को मशीनी भाषा में रूपान्तरित द्वारा कंप्यूटर पर कार्यान्वित करवाता है। मशीनी भाषा में प्राप्त के बाद प्राप्त होने वाला कोड, ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (ऑब्जेक्ट) कार्यक्रम) कहलाता है।

    

 उच्चस्तरीय भाषा (High level language) - 

असेम्बली भाषा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि यह कुछ निश्चित संकेतों और कोड को मशीनी था भाषा में हिट करने की तकनीक विकसित हुई और जब 'असेम्बलर' के माध्यम से कोड मशीनी भाषा में अनुवाद होने लगे तो कुछ निश्चित अंग्रेजी के शब्दों को मशीन कोड में अनुवाद करने वाले प्रोग्राम को विकसित करने में भी अधिक समय नहीं लगाया। ऐसे प्रोग्राम जो कुछ निश्चित अंग्रेजी के शब्दों को मशीन कोड में संपादित करते हैं करते हैं 'कम्पाइलर' (कंपाइलर) और इंटरप्रिटर (इंटरप्रेटर) कहलाते हैं।

कम्पाइलर और इंटरप्रिटर के साथ ही उच्चस्तरीय भाषाओं का आरम्भ  जिनमें कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिये सामान्य अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग किया जाता है। इन उच्चस्तरीय भाषाओं में कोड लिखना तथा लिखे हुए कोड को बदलना आसान होता है।


कुछ प्रमुख उच्चस्तरीय भाषाएं निम्नलिखित हैं- 

1. फोरट्रॉन (FORTRAN-Formula Transaction)

2.  (BASIC-Beginners Allpurpose Symbolic Instruction Code)

3. कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language)

4. पास्कल (PASCAL) (इसका यह नाम ब्लेज पास्कल के सम्मान में रखा गया।)

5. अल्गोल (ALGOL-Algorithmic Language)

6. लोगो (Logo)

7. प्रोलॉग (PROLOG-Programming Logic)

8. लिस्प (LISP-List Processing)

9. सी (C)

10. सी प्लस-प्लस (C++)

11. जावा (JAVA)

12. जी०एल० (4t Generation Language)


कम्प्यूटर में एप्लीकेशन सॉफ्टवेयरों के माध्यम से हम अपना कोई कार्य- विशेष सम्पन्न कर सकते हैं जिसके लिए सम्बन्धित सॉफ्टवेयर में सुविधाएं दी गई हैं या जिस उद्देश्य से यह विकसित किया गया

कम्प्यूटर की उच्चस्तरीय भाषाओं के द्वारा हम अपने स्वयं के प्रोग्राम विकसित कर सकते हैं। अर्थात् एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में हम प्रोग्रामिंग नहीं कर सकते और कम्प्यूटर भाषा को हम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के समान उपयोग में नहीं ला सकते। पहला रेडिमेड सॉफ्टवेयर है और दूसरा नया सॉफ्टवेयर विकसित करने का साधन। 

4 जी०एल० ऐसी भाषाएं हैं जिनमें हम उपर्युक्त दोनों ही कार्य कर सकते हैं; अर्थात् 4 जी०एल० को हम केवल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं और इसके द्वारा स्वयं के प्रोग्राम भी बना सकते हैं।

4 जी०एल० के उदाहरण-

(i) dBase

(ii) FoxPro

ये दोनों ही ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जिन्हें हम डाटा प्रबंधन के लिए केवल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के रूप में भी उपयोग में ला सकते हैं और उनके द्वारा स्वयं के प्रोग्राम भी बना सकते हैं